- हे शत्रु दमन! तत्वदर्शी लोग कहते हैं कि ब्रह्मा से लेकर तिनके तक जितने प्राणी या पदार्थ है, सभी हर समय पैदा होते और मरते रहते हैं। अर्थात नित्यरूपसे उत्पत्ति और प्रलय होता ही रहता है।35
- संसार के परिणामी पदार्थ नदीप्रवाह और दीपशिखा आदि क्षण क्षण में बदलते रहते हैं।उनकी बदलती हुई अवस्थाओं को देखकर यह निश्चय होता है कि देह आदि भी काल रूप सोते के वेग में बहते- बदलते जा रहे हैं। इसलिए क्षण- क्षण में उनकी उत्पत्ति और प्रलय हो रहा है। 36
- जैसे आकाश में तारे हर समय चलते ही रहते हैं, परंतु उनकी गति स्पष्ट रूप से नहीं दिखाई पड़ती, वैसे ही भगवान के स्वरुप भूत अनादि अनंत काल के कारण प्राणियों की प्रतीक्षण होने वाली उत्पत्ति और प्रलय का भी पता नहीं चलता 37
- Parikshit Maine tumse char prakar ke pralay ka varnan Kiya unke naam hai Nitya pralay niyamit pralay prakrutik pralay aur atyantik pralay vastav mein kal ke sukshm gati aisi hi hai।
भगवान!आप के वास्तविक स्वरूप को जानने वाला पुरुष आपके दिए हुए पुण्य और पाप कर्मों के फल सुख एवं दुखों को नहीं जानता, नहीं भोगता; वह भोग्य और भोक्ता पन के भाव से ऊपर उठ जाता है। उस समय विधि-निषेध के प्रतिपादक शास्त्र भी उस से निवृत हो जाते हैं; क्योंकि वह देहा भिमानियो के लिए है। उनकी ओर तो उसका ध्यान ही नहीं जाता। 1परमार्थ निरूपण 2भागवत धर्म 3यदुकुल संहार 4स्वधामगमन 5कलियुगी राजा 6धर्म 7नाम संकीर्तन 8प्रलय
गुरुवार, 31 मार्च 2022
8प्रलय 11/4
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परमार्थ निरूपण बद्रिकाश्रम गमन यदुकुल संघार स्वधाम गमन वंश राजवंश धर्म नाम संकीर्तन प्रलय
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हे शत्रु दमन! तत्वदर्शी लोग कहते हैं कि ब्रह्मा से लेकर तिनके तक जितने प्राणी या पदार्थ है, सभी हर समय पैदा होते और मरते रहते हैं। अर्थात नि...
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भगवान! आप के वास्तविक स्वरूप को जानने वाला पुरुष आपके दिए हुए पुण्य और पाप कर्मों के फल सुख एवं दुखों को नहीं जानता, नहीं भोगता; वह भोग्य औ...
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